एक बाबा ने दुसरे की तरफ देखा और बोला "बाबा, बोले तो उन्हें बता दे की साही ऐसे नहीं मरेगा ". दुसरे बाबा बोले " अब हम लोग संत हो गए हैं , जीव हत्या पाप है ". पहले वाले बाबा बोले "महाराज, मन नहीं मान रहा, एक बार बता देता हूँ ". दुसरे वाले बाबा बोले "नहीं, ऐसा मत करो ". लेकिन बाबा नहीं माने और जैसे ही बाबा गाँव वाले के समीप पहुचे तो बोले उठे "मुड़े मारे साही मरे , हम सन्तन से का मतलब " (सर पर मारने से साही मरता है , हम संत लोगों से क्या मतलब).

आदमी कभी अपनी आदत नही बदल सकता जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर बोध कथा !
जवाब देंहटाएंसही कथन है... :-)
जवाब देंहटाएंजो यूँ ही छूट जाए वह आदत ही क्या!
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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