19 जुलाई, 2010
हम सन्तन से का मतलब
एक बाबा ने दुसरे की तरफ देखा और बोला "बाबा, बोले तो उन्हें बता दे की साही ऐसे नहीं मरेगा ". दुसरे बाबा बोले " अब हम लोग संत हो गए हैं , जीव हत्या पाप है ". पहले वाले बाबा बोले "महाराज, मन नहीं मान रहा, एक बार बता देता हूँ ". दुसरे वाले बाबा बोले "नहीं, ऐसा मत करो ". लेकिन बाबा नहीं माने और जैसे ही बाबा गाँव वाले के समीप पहुचे तो बोले उठे "मुड़े मारे साही मरे , हम सन्तन से का मतलब " (सर पर मारने से साही मरता है , हम संत लोगों से क्या मतलब).
09 सितंबर, 2009
छुटपुट चुटकुले
02 सितंबर, 2009
जिंदगी एक उड़ान है
03 अगस्त, 2009
हँसते-मुस्कुराते
डाकू (ताऊ से)- सुन या तो तू अपनी जान देगा, या फिर वह सारा रुपया जो पोटली में दबाकर ले जा रहा है।
ताऊ (डाकू से)- नहीं जी, तुम मेरी जान ही ले लो, रुपया तो मैंने बुढ़ापे के लिए रख छोड़ा है।
ताऊ (भाटिया जी से)- मैं बचपन में बहुत ताकतवर था..
भाटिया जी (ताऊ से)- वो कैसे?
ताऊ - मां कहती है मैं जब रोता था तो सारा घर सिर पर उठा लेता था।
गरीब मरीज- डॉक्टर साहब मेरे पास पैसे नही हैं आप मेरा इलाज कर दें तो कभी आपके काम आऊंगा।
डॉक्टर- तुम काम क्या करते हो?
मरीज- जी कब्र खोदता हूं।
मैं (रामप्यारी से)- तुम बल्ब पर ताऊ का नाम क्यों लिख रहे हो?
रामप्यारी (मुझसे से)- मैं ताऊ का नाम रोशन करना चाहती हूं।
रामप्यारी बहुत देर से घर के बाहर खड़ी दरवाजे की घंटी बजाने की कोशिश कर रही थी । तभी ज्ञान जी आये और बोले - क्या कर रही हो रामप्यारी ?
रामप्यारी - अंकल, ये घंटी बजाना चाहती हूं।
ज्ञान जी (घंटी बजाकर)- ये तो बज गयी अब क्या है।
रामप्यारी - अब भागो!
मैं (बॉस से)- सर मेरा वेतन बढ़ा दीजिये, अब मेरी शादी होने वाली है।
बॉस- कार्यालय के बाहर होने वाली दुर्घटनाओं के लिए ऑफिस जिम्मेदार नही है।
लेडी डॉक्टर (गुस्से से)- तुम रोज सुबह अस्पताल के बाहर खड़े होकर औरतों को क्यों घूरते हो?
मैं (डॉक्टर से)- मैडम, अस्पताल के बाहर ही तो लिखा है- औरतों को देखने का समय सुबह 9 बजे से 11 बजे तक।
पत्नी (सुरेन्द्र जी से )- रात को आप शराब पीकर गटर में गिर गए थे।
सुरेन्द्र जी (पत्नी से)- क्या बताऊं, सब गलत संगत का असर है, हम 4 दोस्त....1 बोतल, और वो तीनों कम्बख्त पीते नही।
27 जुलाई, 2009
चुनाव परिणाम
20 अप्रैल, 2009
गजबे हो जायेगा
पंडित जी बोले "नहीं , जजमान आप कथा के बीच से उठ कर कहीं नहीं जा सकते ".
जजमान बोले "पंडित जी , अगर कोई आवश्यक कार्य हो तो ?".
पंडित जी बोले "नहीं , जजमान अगर ऐसा करेगे तो कथा फलित नहीं होगी ".
जजमान बोले "पंडित जी , अगर लघुशंका जाना हो तो ?".
पंडित जी बोले "तो जजमान आप धीरे से उठ कर चले जाइये और हाथ-पैर धोके, थोड़ासा जल ऊपर छिड़क कर, वापस आके बैठ जाइये "।
जजमान बोले "महराज, अगर दीर्घ शंका जाना हो तो ? "
पंडित जी बोले "जजमान , तबतो गजबे हो जायेगा ".
जजमान बोले "महराज , गजबे करके तो बैठे हुए है , अब बताइए क्या करे ?"