31 जनवरी, 2009

माँ सरस्वती को नमन




या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता |

या वीणा वरा दंडमंडित करा या श्वेत पद्मासना ||


या ब्रह्मच्युत शंकरा प्रभुतिभी देवी सदा वन्दिता |

सामा पातु सरस्वती भगवती निशेश्य जाड्या पहा ||

माँ सरस्वती बोलने की शक्ति , चतुराई और ज्ञान की देवी हैं . उनके पास चार हाथ हैं पहला ज्ञान का, दूसरा मस्तिष्क का ,तीसरा समझ का और चौथा चौकसी और अहम् का है .

माँ सरस्वती की आराधना हम वसंत पंचमी के दिन करते है . आज वसंत पंचमी है और आज हम माँ को याद कर रहें है. माँ सरस्वती के असली भक्त अब खोजने पड़ते है क्योंकि इस कलयुग में लक्ष्मी के भक्त बढ गए हैं , आज शिक्षा पैसे बनाने का उद्योग बन गया , हिन्दी माध्यम शिक्षण संस्थान बंद हो रहे है और अंगरेजी माध्यम शिक्षण संस्थान रोज नए खुल रहे है . मैं ये नही कहता की ये ग़लत है लेकिन ये उचित भी नही है की हम अपनी मातृ भाषा को छोड़ कर एक विदेशी भाषा के गुलाम बन जाए . आज बच्चो को प्रणाम शब्द की जगह हाई और हेल्लो शब्द सिखाते है . उच्च शिक्षा के लिए अग्रेजी अनिवार्य है और बिना लक्ष्मी के वो मिलना भी मुमकिन नही है .

मैं बस यही चाहता हूँ कि माँ सरस्वती कि कृपा हमारे ऊपर बनी रहे और वो सबका कल्याण करे .

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