10 अप्रैल, 2009

आत्मविश्वास और लक्ष्य

किसी काम को करने के लिए आत्मविश्वास की जरुरत होती है , समय , भाग्य , परिस्थितियाँ तो केवल सहायक या अवरोधक होती है . जैसे आग जलाने के लिए आग की जरुरत होती है , लकडी , तेल , घी , पेट्रोल , गैस तो केवल सहायक होती है . अब आप कहोगे की आग लगाने के लिए एक चिंगारी भी बहुत है तो मैं कहता हूँ चिंगारी भी तो एक आग है . किसी काम को करने के लिए मुख्य वस्तु का होना आवश्यक है .

एक बार की बात है .छोटे शहरों से महानगर में पढ़ने के लिए ४-५ लड़के गए . एक ही क्लास में होने के कारण उनमे दोस्ती हो गयी . घर से दूर होने के कारण घूमने-फिरने की आजादी मिल गयी तो खूब घुमे फिरे . दो-तीन महीने गुजर गए तो उन्हें अहसास हुआ की क्लास में हर लड़के की गर्लफ्रेंड है पर उनकी नहीं तो उन्होंने भी गर्लफ्रेंड बनाने की सोची.

उन्होंने काफी सोचने के बाद ये निर्णय किया की जब तक वो दुसरे लड़को की तरह कपडे (जींस-टीशर्ट ) नहीं पहनेगे तब तक कुछ नहीं होगा .कुछ दिने में सबके पास अच्छी कंपनी के कपडे आ गए पर कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनती तो उन्होंने फिर से एक बैठक की और ढूंढा की जब तक वो अंग्रेजी बोलना नहीं सिख लेते तब तक कोई लड़की उनसे बात नहीं करने वाली तो पहले अंग्रेजी सीखनी होगी .

२-३ महीने में वो इंग्लिश क्लास करके काम चलाऊ अंग्रेजी बोलने लगे पर फिर भी किसी की कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी तो उन्होंने फिर से एक बैठक की और इस बार इस नतीजे पर पहुंचे की जब तक एक बाइक (मोटर सायकल ) नहीं होगी तब तक कोई लड़की उन्हें अपना बॉयफ्रेंड नहीं बनाएगी . बड़ी कोशिस करके सबने किसी तरफ से एक बाइक का भी इन्तेजाम कर लिया पर फिर भी किसी की कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी .

दो साल गुजर गए कोशिस करते -करते पर जब हाल वही रहा की जैसा २ साल पहले था, वैसा आज भी तो उन्होंने फिर से एक बार बैठक की और इस बार ये फैसला हुआ की जब तक मोबाइल नहीं होगा तब तक कुछ नहीं होगा क्योंकि अगर मोबाइल नहीं तो आप दुनिया के सम्पर्क में नहीं , अब ये फैसला हुआ की एक मोबाइल सबके पास होना चाहिए (ये बात उस समय की है जब इन्कामिंग के पैसे लगते थे ). किसी तरह लड़कों ने जुगाड़ करके एक मोबाइल भी ले लिया पर कोई फर्क नहीं पड़ा .

देखते -देखते ३ साल गुजर गए पढाई खत्म हो गयी पर कोई गर्ल फ्रेंड नहीं बनी तो उन्होंने ने निर्णय लिया की अब वो अलग-अलग कालेज में दाखिला लेगे और गर्लफ्रेंड बना के रहेंगे .सब ने अलग-अलग कालेज में अलग-अलग कोर्स में दाखिला लिया और लग गए अपने एक सूत्री कार्यक्रम पर, लेकिन ६ महीने गुज़र जाने के बाद भी जब कोई बात नहीं बनी तो वो वापस फिर एक दिन मिले और विश्लेष्ण करना शुरू किया . बहुत सोचने के बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे की गर्लफ्रेंड बनाने की लिए ना ही गाड़ी चाहिए ना ही मोबाइल चाहिए और ना ही अंग्रेजी चाहिए, गर्लफ्रेंड बनाने के लिए एक लड़की चाहिए और थोड़ा आत्मविश्वास भी होना चाहिए .

7 टिप्‍पणियां:

  1. आत्मविश्वास और लक्ष्य बहुत सुन्दर विषय है और आपने इसकी बहुत सुन्दर व्याख्या की है। बधाई।

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  2. सबसे पहले लक्ष्य का होना और फिर सबसे बड़ी बात आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है ...खासकर इस मामले में :) :)

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  3. बस जीवन भी कुछ कुछ ऐसा ही है. बहुत सुंदर दृष्टांत.

    रामराम.

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  4. बाप रे! क्या काम की बात कह डाली!! बहुत खूब!

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  5. गर्लों की कमी नहीं है उन्हें तो आत्मविश्वास और वह भी सफलता के क्षेत्र में केन्द्रित चाहिये।
    सही कहा जी।

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  6. गर्लफ्रेंड बनाने के लिए एक लड़की चाहिए और थोड़ा आत्मविश्वास भी होना चाहिए .

    काटे की बात कही .......

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