कभी -कभी कुछ मन में ख्याल आता है , उन्हें आज सबको सुनाना चाहता हूँ .
हर बार उठता , सम्भलता और चलता हूँ
फिर भी खुद को सबसे पीछे पाता हूँ !
बहुत बार पूछा है मैंने खुद से ये सवाल
वक़्त तेज चलता है या मैं धीरे रह जाता हूँ !!
हर बार देखता हूँ
हर बार सोचता हूँ !
कुछ कहना चाहता हूँ
पर हर बार खामोश रह जाता हूँ !!
कभी खुद की, कभी दुसरो की सुनता हूँ
सोच कर बहोत एक कदम आगे रखता हूँ !
पर जब देखता हूँ उस जगह को,पता चलता है
दो कदम वक़्त से पीछे रहता हूँ !!
सफ़र करने की चाह थी जिन्दगी में बहोत
जिन्दगी को एक सफ़र की तरह जीये जा रहे है !
कभी सफ़र थका देता है , कभी जिन्दगी थक जाती है
फिर भी मंजिल की तलाश में हम चले जा रहे हैं !!
ऐ दोस्त तेरे याद में हम अपना सबकुछ लुटा बैठे है!
हम अपना आज तो क्या इतिहास मिटा बैठे है !!
और वो सोचते हैं की हम उनको भुला बैठे है !!!
हर बार उठता , सम्भलता और चलता हूँ
फिर भी खुद को सबसे पीछे पाता हूँ !
बहुत बार पूछा है मैंने खुद से ये सवाल
वक़्त तेज चलता है या मैं धीरे रह जाता हूँ !!
हर बार देखता हूँ
हर बार सोचता हूँ !
कुछ कहना चाहता हूँ
पर हर बार खामोश रह जाता हूँ !!
कभी खुद की, कभी दुसरो की सुनता हूँ
सोच कर बहोत एक कदम आगे रखता हूँ !
पर जब देखता हूँ उस जगह को,पता चलता है
दो कदम वक़्त से पीछे रहता हूँ !!
सफ़र करने की चाह थी जिन्दगी में बहोत
जिन्दगी को एक सफ़र की तरह जीये जा रहे है !
कभी सफ़र थका देता है , कभी जिन्दगी थक जाती है
फिर भी मंजिल की तलाश में हम चले जा रहे हैं !!
ऐ दोस्त तेरे याद में हम अपना सबकुछ लुटा बैठे है!
हम अपना आज तो क्या इतिहास मिटा बैठे है !!
और वो सोचते हैं की हम उनको भुला बैठे है !!!
बहुत खूब.... सफ़र करने की चाह थी जिन्दगी में बहोत
जवाब देंहटाएंजिन्दगी को एक सफ़र की तरह जीये जा रहे है !
कभी सफ़र थका देता है , कभी जिन्दगी थक जाती है
फिर भी मंजिल की तलाश में हम चले जा रहे हैं !!
bahut behtreen likha hai dil ke bhavon ko
जवाब देंहटाएंआलोक जी अगर लाइन कुछ ऐसी हो तो
जवाब देंहटाएंऐ सनम तेरे याद में हम अपना सबकुछ लुटा बैठे है!
हम अपना आज तो क्या इतिहास मिटा बैठे है !!
और वो सोचते हैं की हम उनको भुला बैठे है !!!
कोई कह दे जाके उन्हें , उनकी तस्वीर दिल से लगाके बैठे है .
दिल की बातो को लिख दिया है आपने , कहीं कोई दर्द सा छुपा है हर ख्यालों में .
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया भावाभिव्यक्ति रचना .
जवाब देंहटाएंआलोक भाई , कवि बन गये । का बात है बाबू सबकुछ उड़ेले देहा हियां पय । मस्त रही प्रस्तुती भाई जी ।
जवाब देंहटाएंआलोक भाई आज इस उदास कवि को कह से पकड लाये, ओर सुंदर कविता सुना दी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत बढिया लिखा है ...
जवाब देंहटाएंवक़्त तेज चलता है या मैं धीरे रह जाता हूँ !!
जवाब देंहटाएंआलोक जी
सुन्दर पर उदास मन से लिखी कविता है.......
वक़्त अक्सर या तो हम से आगे रहता है या पीछे,
सही लिखा है
सुन्दर फलसफा, उचित प्रश्न, कविता में अच्छा ढाला है.
जवाब देंहटाएंबहुत गहन भावाभि्व्यक्ति है. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरा्मराम.
इतनी उदासी क्यों...?
जवाब देंहटाएंहर बार देखता हूँ
जवाब देंहटाएंहर बार सोचता हूँ !
कुछ कहना चाहता हूँ
पर हर बार खामोश रह जाता हूँ !!
बहुत ही उम्दा ......