01 अप्रैल, 2009

एक दर्दनाक हादसा

एक काला
बहुत ही काला
काला स्याह
एकदम काला
अमावस्य का बड़ा भाई
पहाड़ी कौए का परदादा
कोयल संप्रदाय का दादू
बंगाल का काला जादू
तारकोल जिसके पैरों में भक्ति भाव से पसरता हो,
कोयला जिसका रूप रंग पाने के लिये, सदियों तक जमीन के नीचे बैठ कर तपस्या करता हो
जिसदिन उस कालानुभाव के दर्शन हुए, जमीन थमी रह गयी
अब इससे ज्यादा क्या कहुँ,
इतना कहने के बाद भी, मेरे पास शब्दों की कमी रह गयी
शादी होते ही माँ-बाप को धक्के देकर बाहर निकाल देने वाली औलाद सा कपूत,
कुल मिला कर इतना काला जितनी किसी भ्रष्ट नेता की करतूत
एक दुकान पर गया
ना शर्म ना हया
बोला - फेयर एण्ड हैंडसम है
दुकानदार ने कहा नहीं
तो कहने लगा -
फेयर नैस जैसी कोई और क्रीम सही
दुकानदार बोला वो भी नहीं
तो बोला - कोई और
तो जब इस बार भी गर्दन दुकानदार ने इंकार में हिलाई
तो कहने लगा - Cherry Blossom ही दे दे
कम से कम चमक तो बनी रहेगी भाई

मुर्ख दिवस की हार्दिक बधाईया
( मेल में प्राप्त संदेश )
इस कविता के रचनाकार वेद प्रकाश जी है, यह जानकारी आलोक पुराणिक जी के द्वारा टिप्पणी में दी गई , धन्यवाद

11 टिप्‍पणियां:

  1. काले पन की चमक का जवाब नीं। कभी उम्र होने पर गोदरेज हेयर डाई के बगैर जीवन की कल्पना करें!

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  2. आलोकजी लेखकीय शालीनता का तकाजा है कि इस कविता के रचियता वेदप्रकाशजी का नाम भी आप इसमें दें।

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  3. बहुत ही शानदार. वेदप्रकाश जी को लिखने के लिए और आपको इसे हम तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद..

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  4. वेदप्रकाश जी की रचना पढ़कर आनन्द आ गया. हमारे काम की है सलाह!! :)

    मुर्ख दिवस की हार्दिक बधाईया ..

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  5. बहुत आभार आपका. मुर्खम दिवसम की बधाई.

    रामराम.

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  6. भाई सभी मुर्खो को हमारी तरफ़ से बधाई

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  7. मुर्ख दिवस की हार्दिक बधाईया.......

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  8. कम से कम चमक तो बनी रहेगी भाई

    :)

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