06 अप्रैल, 2009

गाड़ी तो २ चाहिए और वो भी स्कार्पियो

दहेज़ प्रथा को जल्द से जल्द समाप्त किया जाना चाहिए , आखिर क्या हक़ है लड़केवालों को की वो लड़की के परिवारवालों को दहेज़ के लिए परेशान करे और न देने पर लड़की के साथ दुर्वयवहार करे ।आखिर जितना पैसा लगा कर लड़केवालों ने अपने लड़को को पढाया लिखाया उतना ही लड़की के माता-पिता ने अपने लड़की पर भी खर्च किया है।

एक वाक्या याद आता है शायद ४-५ साल पहले की बात है , मैं घर (जौनपुर ) गया हुआ था , नाना जी बोले "आलोक अच्छा हुआ तुम आ गए रविवार को तुम्हारी मौसी के लिए लड़का देखने चलाना है (मेरी मौसी मुझसे केवल ३ साल बड़ी हैं )"। मैंने पूछा "नाना जी जाना कहाँ पर है "। नाना जी बोले "तुम्हारे गाँव के पास ही एक गाँव में जाना है ( मेरा गाँव प्रतापगढ़ जिले में पड़ता है )।"

रविवार को मैं, नाना जी और नाना जी के एक मित्र लड़के के घर जाने के लिए रवाना हुए । जब मैं अपने गाँव के पास पहुँच गया तो नाना जी बोले "आलोक , तुम्हारे बाबा (दादा) को भी साथ ले चलते हैं "। मैंने कहा "ठीक है , मैं दादा जी को फ़ोन कर देता हूँ ,वो तैयार रहेंगे "। हम ५ लोग लड़के के घर पहुंचे, लड़के का घर पुराना मिटटी का बना हुआ था । बैठने के लिए भी जगह नहीं थी। एक पेड के निचे ३-४ कुर्सी और एक चारपाई डाल कर हमें बैठाया गया।

जिस लड़के की शादी के लिए हम गए थे वो कुछ ही महीने पहले सेल्स टैक्स अधिकारी हुआ था और वो उतरांचल में नियुक्त था। लड़के के बड़े भाई गाँव के पास ही एक प्राइमरी स्कुल में अध्यापक थे। लड़के के माता-पिता का देहान्त हो चुका था। घर के मालिक लड़के के बड़े भाई ही थे।

बहुत देर बैठने के बाद लड़के के बड़े भाई आये और आने के बाद उन्होंने जानकरी ले की हम कहाँ से और क्यों आये हैं ।थोडी देर में चाय आ गयी, ३-४ अलग तरह के कप में सबके लिए चाय आई थी। घर और उनकी मेहमान नवाजी देख कर हमें पता लग गया था की उनकी आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है।

नाना जी ने लड़के के बड़े भाई से बताया की मैं अपनी लड़की की शादी के लिए यहाँ आया हूँ तो लड़के के बड़े भाई बोले "देखिये पहले लेन-देन तय कर लीजिये उसके बाद ही कोई बात आगे होगी"। नाना जी बोले " मेरे केवल दो लड़कियां ही हैं, बड़ी लड़की की शादी बहुत पहले कर चुंका हूँ, ये देखिये मेरा नाती (मुझे दिखाते हुए ) इतना बड़ा है , मैं संख्या विभाग में था, सन २००० में सेवानिवृत हो चुका हूँ , जो मेरे पास है वो सब तो मेरी लड़कियों का ही है , पर आप बता दीजिये की आप की मांग क्या है ?"

लड़के के भाई बोले "ऐसा है आप १० लाख रुपया नगद, २ स्कार्पियो गाड़ी और घर का सारा सामान दे दीजिये "।नाना जी बोले "नगद तो ठीक है , सामान भी ठीक है ,पर २ स्कार्पियो गाड़ी किसलिए ? "। लड़के के बड़े भाई बोले "जी एक लड़के के लिए और एक लड़की के लिए "। नाना जी बोले "भाई में शादी कर रहा हूँ ,की लड़का-लड़की साथ रहे , न की वो अलग-अलग घुमे और रहे, आप एक गाड़ी और बाकि नगद ले लीजिये "।

तभी लड़के के भाई के कोई मित्र आ गए तो वो उनसे बात करने चले गए । तब दादा जी ने नाना से बोला "ये मास्टर जानता है, की शादी हो गयी तो इसका भाई तो घर से कोई मतलब रखेगा नहीं और कुछ देगा भी नहीं क्योंकि उसे तो जिन्दगी बाहर उतरांचल में ही रहना है, तो ये सोच रहा है की २ गाड़ी मिलेगे तो एक ये रख लेगा "।

थोडी देर बाद लड़के के बड़े भाई आ गए। नाना जी ने कहा की वो एक गाड़ी और बाकि पैसा लड़के और लड़की के नाम फिक्स कर देगे और बाकि सारा सामान वैगरह तो देंगे। तो लड़के का भाई बोला"आप २ लाख कम दे दीजिये पर गाड़ी तो 2 स्कार्पियो चाहिए ही "। नाना जी बोले "मास्टर साहब , २ हाथी ले के क्या करेगे ? आप तो मास्टर की कमाई में रोज तेल डाल के चल भी नहीं पायेगे।" लड़के के बड़े भाई बोले "गाड़ी तो २ चाहिए और वो भी स्कार्पियो, चाहे उसपे लौकी ही बोयें (उगायें )।"

नाना जी वहां से विदा लेके चले आये ,कुछ महीने बाद पता चला की किसी धनपशु ने लड़के के भाई को मांग से ज्यादा पैसे देकर, एक तय रिश्ते (लड़के के भाई ने कहीं रिश्ता तय कर दिया था , कुछ रश्मे भी हो गयी थी ) को तुड़वाकर शादी कर ली ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. दहेजनुमा दानव को शिकस्त देने में आपके जैसे विचारों वाले व्यक्तियों की जरूरत है।

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  2. aalok जि............दहेज़ का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है घाट नहीं रहा.....
    ये बिमारी हमारे समाज पर कलंक है

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  3. आलोक भाई , अपने प्रतापगढ़ की नहीं यह हाल पूरे देश का है । पहले यह समझता रहा कि पढ़ लिख लेने से ये बात दूर हो जायेगी लेकिन परिणाम एकदम उल्टा है । जिसके पास जितनी बड़ी नौकरी उसकी उतनी बड़ी मांग। शादी तो आज बाजारू चीज हो गयी है जितनी अधिक बोली उसी को नीलाम किया जायेगा । पर आप इस बात को देख इसके खिलाफ जरूर कुछ प्रयास कर सकते हैं । विषयगत चर्चा

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  4. सडांध बहुत है समाज में। सूअर प्रसन्न हैं वातावरण से।

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  5. बहुत विभत्सता बढती जा रही है.

    रामराम.

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  6. शिखा दीपक जी, बिकता तो फिर भी ठीक था, खरीदकर वह अपने परिवार का न रह जाता, केवल लड़की और उसके परिवार का हो जाता। परन्तु यहाँ तो बात उल्टी है, बेचने वाले बेचने के बाद खरीददार पर रौब झाड़ते मिलते हैं।
    घुघूती बासूती

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  7. पता नहीं ... दहेज का दानव कब समाज से गायब होगा।

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  8. दहेज़ देने की बारी आती है तो दहेज का रोना सभी रोने लगते है.
    जब दहेज लेने की बारी आती है.तो सब कुछ भूल कर कहने लगते है की "समाज में रहना है तो उसके हिसाब से चलाना है."
    आलोक भाई अगर आपकी शादी नहीं हुई है तो आपके क्या विचार है.(मेरा मतलब की आप का रेट क्या है.) या फ्री में ...........?

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  9. ये प्राइमरी स्कूल के मास्टर साहब लोगतो बड़ी ऊँची चीज हो गये हैं। बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के जमाने में इन्होंने अपने अफसर भाई की जो कीमत लगायी वह कम ही है। आजकल तो प्राइमरी स्कूल के मास्टर भी इतना दहेज मांग लेते हैं। और देने वाले देते भी हैं।

    दर‍असल इस पूँजीवादी युग में हमारे सामाजिक व्यवहार को बाजार की शक्तियाँ दिशा दे रही हैं। माँग और आपूर्ति का नियम पूरी निर्दयता से प्रवृत्त है। जब एक से बढ़कर एक देने वाले हैं तो माँगने वालों का मुँह खुलने से कौन रोक सकेगा?

    सुधार का केवल दो रास्ता है। पहला, लड़कियों को अच्छी शिक्षा देकर आत्मनिर्भर बनाएं। किसी लड़की द्वारा अपनी पसन्द के लड़के से शादी कर लेने को सहर्ष सामाजिक स्वीकृति दें। बल्कि सक्रिय समर्थन दें। दहेज लोभियों को सामाजिक वहिष्कार का स्वाद चखाएं। हम यह संकल्प ले सकते हैं कि उस निमन्त्रण में नहीं जाएंगे जहाँ दहेज खसोटकर शादी की जा रही है। इसे मेजबान को बता देने में भी गुरेज नहीं करना चाहिए।

    मैं एक ऐसे ही अफसर दूल्हे को जानता हूँ जिसने दहेज की लालच में अनेक अच्छे रिश्ते ठुकरा कर एक घटिया शादी कर ली। दहेज का पैसा तो खर्चीली शादी में ही चुक गया। गाड़ी पुरानी हो गयी तो बदली नहीं जा सकी। अब पिता की मौत के बाद दो-दो जवान बहनों की शादी खोजने में पसीना निकल रहा है। वही दहेज अब बड़ा बुरा लग रहा है।

    एक उदाहरण ऐसा भी जानता हूँ जहाँ बेटे की शादी दहेजरहित करने वाले बाप को बढ़िया दामाद भी बिना दहेज के मिल गया।

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  10. भिखारियो को जीते जी श्रद्धांजलि भेज रहा हूँ
    आप डिलिवार्ड करवा देना जी
    आमीन

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  11. sales tax me sto hai to theek hi maang raha hai, apni aukat ke hisab se, bhikari ka bhi standard hota hai

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