18 अप्रैल, 2009

बाप बाप है

बेटा कितना भी बड़ा क्यों न हो जाये बाप से दो कदम पीछे ही रहता है । किसी ने मुझसे कहा की यदि ऐसा है तो जीतनी खोज आज तक हुई है वो खोजे उनके बाप ने क्यों नहीं की , नई दुनिया की खोज तो कोलम्बस के बाप को कर लेनी चाहिए थी, कोलम्बस ने क्यों की ? मैंने कहा "मैं उस बारे में नहीं कह रहा हूँ , मेरा अर्थ कुछ दूसरा है "। मैं आपको एक घटना सुनाता हूँ ।

एक लड़का अजय घर से दूर रह कर इंजीनियरिंग की पढाई करता था । उसने अपने सभी दोस्तों से बता दिया था की उसके पिता जी बहुत खतरनाक है , बहुत मारते है , अगर वो कभी आयें तो तुम लोग उनसे दूर ही रहना । एक दिन दोपहर में अजय के कमरे पर कई लड़के बैठ कर गप्पे मार रहे थे , तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी । अजय ने दरवाजा खोला तो देखा सामने उसके पिता जी खड़े है । वो अन्दर आये तो अजय ने दोस्तों से इशारे में कहा की वो लोग बाहर चले जाये पर किसी ने गौर नहीं किया । अजय के पिता जी ने अन्दर आ के सबसे नाम पूछा और हाथ मिलाया और अजय को पैसे देते हुए बोले "अजय , मैं कुछ ले के आ नहीं पाया , पास में कोई दुकान हो तो सबके खाने के लिए कुछ मिठाई -समोसे ले आयो , तब तक मैं तुम्हारे दोस्तों से बात करता हूँ "। अजय ने अपने दोस्तों से फिर इशारे से जाने के लिए कहा पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, एक दोस्त ने देख लिया तो वो अजय से बोला " मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ "।

अजय अपने दोस्त के साथ सामान लेने चला गया तो अजय के पिता जी ने अपने जेब से एक सिगरेट का पैकेट निकला और इधर -उधर जेब में हाथ डाल माचिस खोजने लगे । एक लड़के ने पूछा "अंकल माचिस खोज रहे है, वो अलमारी पर रखी है" । अजय के पिता जी ने सिगरेट सुलगाली और पीते हुए बाते करने लगे फिर अचानक उन्होंने अजय के दोस्तों से पूछा क्या तुम सिगरेट पीते हो तो सबने मना कर दिया, पर जब सिगरेट के धुएं से एक-दो दोस्तों को तलब लगने लगी, तो बोले अच्छा अंकल जी हम चलते है । तब अजय के पिता जी बोले "अरे यार बाहर जा के सिगरेट पियोगे ना ,यहीं पिलो "अजय भी तो पीता मैं जानता हूँ, हमने तो १०वीं से ही सिगरेट पीना शुरू कर दिया था ". अंकल की बात सुन कर, अजय के दो दोस्तों ने अंकल से सिगरेट लेकर सुलगाली और फिर तो बातों का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ की लड़के भूल गए की वो एक दोस्त के बाप से बात कर रहे हैं ।

हर तरह की बाते उन्होंने अंकल जी से कर डाली और अजय के पिता जी भी बड़े मजे के साथ उनसे बात कर रहे थे । अजय के दोस्तों और पिता जी का शाम को बाहर खाने-पीने का भी प्रोग्राम बन गया । सबने अपने और अजय के बारे में भी सारी बाते अजय के पिता जी को बता दी , की किसकी कितनी गर्लफ्रेंड है ,कौन कितनी सिगरेट और शराब पीता है , कौन कालेज छुट्टी कर फिल्म देखने जाता है, आदि-आदि

जब अजय वापस आया तो कमरे के बाहर आती आवाज से उसे पता चल गया की, आज तो मैं गया , अन्दर सारे मौजूद है , उन्हने पता नहीं क्या-क्या पापा से बताया होगा । दरवाजा खटखटाया तो , उसके पापा ने दरवाजा खोला । अजय ने अन्दर देखा कमरे में सिगरेट का धुवाँ भरा हुआ है और उसका एक दोस्त आराम से सिगरेट पीते हुए बात कर रहा है। अजय के पिता जी ने सबको मिठाई दी और कहा की अब वो थोडा आराम करना चाहते है, तो शाम को मिलेगे । अजय के दोस्त अजय से ये कहते हुए गये की "तुम्हारे पापा कितने अच्छे है "। दोस्तों के जाने के बाद अजय के पिता जी ने बेल्ट निकाली और अजय को दम भर के मारा और बोले अगर अगली बार आया और पता चला की तुम ये सब करते हो तो पढाई छुडा के घर बैठा दूंगा ।

पिता जी के जाने के बाद अजय अपने दोस्तों के पास गया और बोला की "मैंने तुम्हे बताया था की , मेरे पापा बहुत खतरनाक है फिर भी तुम लोग उनके सामने सिगरेट पी रहे थे और उन्हें मेरे बारे मने सब कुछ बता दिया "। दोस्त बोले "सिगरेट तो तुम्हारे पापा ने ही हमें ऑफर की थी और वो कह रहे थे की उन्हें सब पता है तुम्हारे बारे में " । अजय बोला "मेरे पापा ना सिगरेट पीते है और ना शराब , वो तो तुम लोगों से सब पता करने के लिए ऐसा किया और तुम बेवकूफ लोग उनके जाल में आ गये और सब कुछ बक दिया" ।

बाप बाप है , बेटा बेटा ही है !
(कहानी सत्य घटना पर आधारित है )

14 टिप्‍पणियां:

  1. बाप है कि साडिज्म (sadism) का मरीज!

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  2. आजकल के बाप सुधर गए हैं. जमाना बदल गया है.

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  3. जी आज कलके पिता तो पुत्रो के साथ मित्रवत व्यवहार करते है ,पर कुछ पिता ऐसे है जो बच्चे को हमेशा बच्चा बना के रखना चाहते है किन्तु जब एक दिन वो बच्चा बगावत पर आ जाता है तो बगल झाकने लगते है .

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  4. हमेशा की ही तरह रोचक और शिक्षाप्रद!

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  5. ठीक है ना। पर कोलम्बस के बेटे ने भी क्या किया (-:

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  6. बहुत अच्‍छी कहानी ... बाप बाप है , बेटा बेटा ही है !

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  7. वाह आलोक जी ...............बहूत ही अच्छा लिखा ...सच कहा बाप बाप ही होता है

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  8. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

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  9. आलोक यह सत्य घटना आप की तो नहीं है.

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  10. बहुत प्रेरक सत्य घटना है यह तो :)

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  11. rajiv ji, aapka aalekh "baap-beta" bahut shaandaar hai, isko padhte hue bahut acha laga.ummed hai, aage bhi iss tarah k lekh padhnae ko milege.

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  12. सचै कहत हाउ , ज्ञान जी और सुब्रामणियम् जी के सुधर गए है से का आसय बाटे ? कउनौ बाप न चहिये कि बचवा का कुटैब लागे

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