12 फ़रवरी, 2009

गुरु - चेला

एक ज्योतिषी और उसका शिष्य एक जहाज पर यात्रा कर रहे थे। अचानक जोरदार तूफान गयालगा अब जहाज डूब ही जाएगा। लोगों में चीखपुकार मच गई। सब जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे पर जाएं तो जाएं कहां तब ज्योतिषी ने उन लोगों से कहा कि घबराओ नहीं यह जहाज नहीं डूबेगा। तभी किसी ने ज्योतिषी से पूछा कि उसे कैसे मालूम की जहाज नहीं डूबेगा। उसने बताया कि वह एक ज्योतिषी है और उसे मालूम है की यह जहाज नहीं डूबेगा। लोगों में घबराहट कुछ कम हुई तूफान गुजर गया और किस्मत से जहाज नहीं डूबा। फिर क्या था, लोगों ने ज्योतिषी को पैसों से लाद दिया

जब वे लोग मंजिल पर पहुंच गए तो शिष्य ने पूछा - महाराज, मैं आपका चेला हूं। बीस साल से आपके साथ हूं। मुझे मालूम है की आप इतने ज्ञानी नहीं हैं कि यह जान सकें कि जहाज डूबेगा या नहीं। फिर आपने यह कैसे जाना की जहाज नहीं डूबेगा ?

ज्योतिषी ने जवाब दिया - मैंने कुछ नहीं जाना मैंने तो बस तुक्का मारा था।

अब शिष्य को गुस्सा गया। बोला - आपने तुक्का मारा था ? अगर जहाज डूब जाता तो ?

- तो कुछ नहीं फिर वहां कुछ पूछने के लिए बचता ही कौन ?

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