ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,
ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,
कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,
उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,
मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,
उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक यार चाहिए.
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,
ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,
कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,
उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,
मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,
उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक यार चाहिए.
"यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
जवाब देंहटाएंपर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक यार चाहिए."
क्या बात है आलोक जी!!!
बड़े ही सरल शब्दों में बड़े गहरे भावों को रूप दिया है आपने
लिखते रहे आपको मेरी शुभकामनाएँ
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
जवाब देंहटाएंमुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,
बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की यह रचना.
धन्यवाद
न जाने कुब एक दुश्रे से दूर हो लेगे आपने आपने अस्को में जिंदगी में डुबो देंगे फिर मिलेंगे तो फश्लो के घेरे में न वो कुछ कह सकेंगे न हम कुछ कह सकेंगे.
जवाब देंहटाएंप्रस्तुत कविता के मौलिक स्वरुप में अपनी समझ से कुछ परिवर्तन किये हैं, मौलिक रचनाकार से क्षमा मांगते हुए उनके अति सुन्दर और भावपूर्ण विचारों हेतु हार्दिक आभार...........
जवाब देंहटाएंजो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए !
हमें तो ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,
हमें तो ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी दोस्त का हाथों मे हाथ चाहिए,
चाहें कहूँ ना मै कुछ, लेकिन समझ जाए दोस्त सब कुछ,
दिल मे दोस्त के, अपने लिए केवल ऐसे जज़्बात चाहिए,
उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला दोस्त का रूमाल चाहिए,
मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार दोस्त चाहिए,
अक्सर उलझ सी जाती है जीवन की नाव दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी दोस्त के नाम की पतवार चाहिए,
यह सच है अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर दोस्त चाहिए,
यूँ तो 'दोस्त' का तमग़ा अपने तमाम जीवन के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए |
(साभार-आलोक सिंह)
'जय हिंद,जय हिंदी'