25 फ़रवरी, 2009

आइये थोड़ा मुस्करा ले

मै शेर सुनाता हूँ गौर से सुनिए , मै शेर सुनाता हूँ गौर से सुनिए , मुझे नहीं आता किसी और से सुनिए ....

कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को नुक्लियर पावर का ज़माना है , बम्ब से उड़ा दो साले को ...

फ़ोन करता हूँ तो इतराती बोहत हो क्या करुँ दिल को लुभाती बोहत हो सोचता हूँ तुम्हे डिनर पर बुलाऊं पर क्या करू ? तुम खाती बोहत हो .

सूरज हुआ मद्धम चाँद भी चलने लगा , मैं ठहरा रहा ज़मीं चलने लगी सजना क्या यही प्यार है ??? पागल ,यह प्यार नहीं , भूकंप है !! भाग

टीचर संता से पूछता है " तुम कहा पैदा हुए ?" संता : तिरुवनंतपुरम में . टीचर : लिख के दिखाओ ? संता : (सोचने के बाद ) मैं सोच रहा हूँ की मैं कटक में पैदा हुआ था .

७ साधु , ७ चटाई पर ध्यान लगाकर बैठे थे . एक लड़का आता है और सबसे बुजुर्ग साधु को प्रणाम कर पूछता है... "महाराज लड़की नहीं पट रही है , क्या करू ...?" वो साधु सबसे छोटे साधु को पुकारता है और कहता है "छोटू एक और चटाई लगा दे बेटा ...."

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह कया बात है जनाब हसं हंस कर पेट दुखने लगा, सभी चुटक्ले अच्छॆ है लेकिन साधू वाला ना० एक है.
    धन्यवाद

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