20 मार्च, 2009

धमा-चौकड़ी बंद करो

बात उस समय की है जब मैं गाजियाबाद में रहता था । हम चार दोस्तों ने एक तीन कमरे का मकान किराये पर लिया हुआ था । कहने को तो हम चार लोग थे पर ऐसा कोई समय नहीं होता था की जब हमारे दो-तीन (कभी इससे ज्यादा) बाहरी मित्र न आये हुए हो । जब लड़के होगे तो शोर , चिल्लाना, दौड़ना-भागना तो होगा ही।दिन भर तो हम बाहर ही रहते थे पर शाम होते ही सारे कमरे पर इकट्ठे हो जाते थे। पूरी रात हम उल्लू की तरह जागते हुए बिताते थे करीब सुबह चार बजे हम सोते थे (रात भर गाने, बाते और कभी-कभी पढ़ाई भी होती थी )।

अभी हमें एक सप्ताह ही हुआ था वहाँ रहते हुए की हमारे एक पडोसी आ गए एक दिन सुबह-सुबह बोले "आप लोग रात को शोर कम किया करिए, पड़ोस में परिवार भी रहता है "। उनकी बात को ध्यान में रख कर हम एक दिन तो शांत रहे पर , अगले दिन से फिर वही पुराने ढर्रे पर आ गए।

तीन दिन बाद हमारे पडोसी फिर आये, बोले "आप लोगो से कहा की रात को शोर मत किया किजीये, पर आप लोग मान नहीं रहे, सुधर जाइये वरना मकान खाली करवा देंगे"। इस बार उनकी बात सुन कर हमने अपने दोस्तों से बोल दिया की वो रात में न आया करे । तीन दिन तक सब ठीक रहा पर फिर हम वापस पुराने रूप में आ गए ।

इस बार हमारे पडोसी दो आदमियों को लेके आये । वो लोग सोसायटी के मेंबर थे, उन्होंने ने कहा की "आप लोग अपनी धमा चौकड़ी बंद नहीं करेगे , तो आप के मकान मालिक से बोल कर ये मकान खाली करवा देंगे"। इस बार हमने कसम खाई की अब कोई धमा चौकड़ी नहीं होगी रात को जल्दी सो जायेगे।

मन तो चंचल होता है कहाँ मानने वाला और रात को जागने की बुरी आदत भी हमें लग गयी थी, सुबह ४ बजे से पहले सोते ही नहीं थे, दो दिन बाद हम वापस पुराने तरीके से जीने लगे और सोच लिया की "इस बार अगर निकालने की धमकी देंगे तो कह देंगे निकलवा दिजीये, पर हम नही बदलेगे"।

१० दिन बाद हमारे पडोसी फिर आये । इस बार वो बड़े प्रेम से पूछ रहे थे कि " कैसे हो, कोई दिक्कत हो तो बताना"। हम सोच में पड़ गए हर बार आके शिकायत और गुस्सा करने वाले इतने प्रेम से कैसे बोल रहे है , ये ह्रदय परिवर्तन कैसे हो गया , उलटी गंगा कहाँ से बह निकली। हिम्मत करके हमने पूछ लिया "क्या बात है अंकल जी , आज आप बड़े प्यार से बात कर रहे हो "। तो वो बोले "मैं और मेरा परिवार एक सप्ताह के लिए बाहर गए थे, कल रात को ही आये, तो पता चला की पिछले हप्ते मोहल्ले में कई चोरिया हुई , जिस घर में कोई नहीं था , उनका तो सारा सामान ही ले के चले गए, पर हमारे घर से कुछ भी नहीं चुराया गया, इसका कारण आप लोग है, आप लोग रात भर जो शोर करते और जागते रहते हैं न उसी वजह से चोर हमरे घर नहीं आये।" फिर बोले "आप लोग जैसे चाहे रहिये, हाँ बस रात को तेज़ आवाज में गाने मत सुना करिए" ।

उस दिन हमें लगा की उल्लू की तरह रात में जागने से कम से कम किसी का तो भला हुआ । कुछ दिन बाद साथ के दो दोस्तों में किसी बात पर बहस हो गयी , बात हाथा-पाई पर आ गयी तो वो बोले की अब हम दोनों में से कोई एक ही यहाँ रहेगा, मैंने कहा जिसको हम बाहर निकालेगे उससे सम्बन्ध ख़राब हो जायेगे, तो ऐसा ही कि "आप दोनों लोग ही मकान छोड़ दीजिये"। कुछ दिन बाद मैंने भी मकान खाली कर दिया। लेकिन आज भी वो रात भर जागते रहना याद है ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. bilkul sir wo yaad hee to rah jati hain dil mai.........aap ki is kahani ne mere bhi dil se kuch purana yaad dila diya.............

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  2. aise raat raat kar jaagne waale kai kisse huamre baste mein band pade hain ....aapka kissa padhkar maza aaya

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  3. जब मिल बैठेगें चार या तो फिर धमा चौकड़ी तो होगी ही । चलिये कुछ तो अच्छा हुआ ।

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  4. कौन सा जमाना याद दिला दिया। आधी रात हो नूतन मार्केट जाया करते थे पिलानी में - चाय पीने!

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  5. दिलचस्प किस्सा-क्या कुछ याद रह जाता है!!

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  6. बहुत ही सुंदर, हम भी कभी ऎसा ही करते थे, फ़िर कलास मै सो जाते थे.
    धन्यवाद

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  7. सुंदर अति सुंदर किस्‍सा सुनाया भाई आपने बहुत खूब यही जिंदगी है और यही मस्‍ती है

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