* क्यों व्यर्थ लेख की चिंता करते हो ? टिप्पणी न मिलने से डरते हो ? कौन तुम्हारी टिप्पणियाँ छीन सकता सकता है ? टिप्पणी पाने के लिए टिप्पणियाँ करते हो, टिप्पणियाँ न पैदा होती है न मरती है !
* जो लिखा अच्छा लिखा, जो लिखोगे वो अच्छा ही लिखोगे , जो टिप्पणियाँ मिलेगी, वो भी अच्छी होगी ! तुम पुराने लेख का पशचाताप न करो , भविष्य के लेख की चिंता न करो, वर्तमान पढ़ा जा रहा है !
* तुम्हारा क्या गया ,जो तुम दुखी होते हो ! तुम क्या नया लाए थे ,जो लोगो ने नहीं पढ़ा , तुमने क्या लिखा था , जो टिप्पणियों का अभाव हो गया ?
* तुम केवल ब्लॉग खाता लेकर आये ! जो लिया, इसी (ब्लॉग ) से लिया ! जो दिया इसी को दिया !
* बिना लेख के आए , और बिना टिप्पणियों के चले गए !
* जो लेख आज तुम्हारा है, कल किसी और का था ! परसों किसी और का होगा ! तुम इसे अपना समझ कर टिप्पणियाँ ले रहे हो ! बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:ख का कारण है।
* परिवर्तन ही ब्लॉग का नियम है ! एक लेख में तुम सैकडो टिप्पणियों के स्वामी बन जाते हो , दुसरे लेख में तुम टिप्पणी विहीन हो जाते हो ! मेरा लेख ,उसका लेख ,मन से मिटा दो ,फिर ब्लॉग जगत तुम्हारा है , तुम ब्लॉग जगत के हो !
हे पार्थ
जब-जब अच्छे चिट्ठाकार आयेगे तब-तब मैं उनके लेख पढ़ कर उनपर टिप्पणियाँ करूँगा ।
समय आने पर मैंने उन चिट्ठाकारों का प्रोत्साहन और अनुसरण भी करूँगा .
विस्तृत गीता ज्ञान स्वामी समीरानन्द जी द्वारा तीन वर्ष पहले लिखा गया है उसे पढने के लिए यहाँ चटका लगाये .
* जो लिखा अच्छा लिखा, जो लिखोगे वो अच्छा ही लिखोगे , जो टिप्पणियाँ मिलेगी, वो भी अच्छी होगी ! तुम पुराने लेख का पशचाताप न करो , भविष्य के लेख की चिंता न करो, वर्तमान पढ़ा जा रहा है !
* तुम्हारा क्या गया ,जो तुम दुखी होते हो ! तुम क्या नया लाए थे ,जो लोगो ने नहीं पढ़ा , तुमने क्या लिखा था , जो टिप्पणियों का अभाव हो गया ?
* तुम केवल ब्लॉग खाता लेकर आये ! जो लिया, इसी (ब्लॉग ) से लिया ! जो दिया इसी को दिया !
* बिना लेख के आए , और बिना टिप्पणियों के चले गए !
* जो लेख आज तुम्हारा है, कल किसी और का था ! परसों किसी और का होगा ! तुम इसे अपना समझ कर टिप्पणियाँ ले रहे हो ! बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:ख का कारण है।
* परिवर्तन ही ब्लॉग का नियम है ! एक लेख में तुम सैकडो टिप्पणियों के स्वामी बन जाते हो , दुसरे लेख में तुम टिप्पणी विहीन हो जाते हो ! मेरा लेख ,उसका लेख ,मन से मिटा दो ,फिर ब्लॉग जगत तुम्हारा है , तुम ब्लॉग जगत के हो !
हे पार्थ
जब-जब अच्छे चिट्ठाकार आयेगे तब-तब मैं उनके लेख पढ़ कर उनपर टिप्पणियाँ करूँगा ।
समय आने पर मैंने उन चिट्ठाकारों का प्रोत्साहन और अनुसरण भी करूँगा .
विस्तृत गीता ज्ञान स्वामी समीरानन्द जी द्वारा तीन वर्ष पहले लिखा गया है उसे पढने के लिए यहाँ चटका लगाये .
हे पार्थ
जवाब देंहटाएंजब-जब अच्छे चिट्ठाकार आयेगे तब-तब मैं उनके लेख पढ़ कर उनपर टिप्पणियाँ करूँगा ।
समय आने पर मैं उन चिट्ठाकारों का प्रोत्साहन और अनुसरण भी करूँगा .
रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को रचना प्रेषित कर सहयोग करें।
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
फ़िर क्यु ब्यरथ लिखते हो हा?
जवाब देंहटाएंजो कहा ठीक कहा।
जवाब देंहटाएंआलोक जी,आपकी पढ कर तो हंसी रुक ही नही रही,
जवाब देंहटाएंजय हो, स्वामी आलोकानन्द की!!
जवाब देंहटाएंकभी हमने भी चिट्ठाकारों को गीता सार बताया था ३ साल पहले, देखियेगा:
http://udantashtari.blogspot.com/2006/12/blog-post_25.html
हे पार्थ, आज मेरा संशय दूर हुआ. और मेरी आत्मा का बोझ उतर गया.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आत्मा आज बिल्कुल नहाई धोई सी लग रही है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर गीता ज्ञान
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पार्थ.........!!!!!
जवाब देंहटाएंएसे ही प्रवचन देते रहो.
"एक लेख में तुम सैकडो टिप्पणियों के स्वामी बन जाते हो , दुसरे लेख में तुम टिप्पणी विहीन हो जाते हो "
जवाब देंहटाएंइसीलिए आज तक हमने अपना कोई लेख नहीं लिखा .
जय हो आपकी भी और समीर भाई की भी..........
जवाब देंहटाएंसुंदर गीता ज्ञान,
wah wah.....
जवाब देंहटाएंGood Sarcasm...
समीरान्दन्द-आलोकानन्द पाटन के बीच में साबित बचा न पार्थ कोय:)
जवाब देंहटाएंगीता ज्ञान हर माहौल में एडजस्ट हो जाता है...अच्छा लगा पढ़ के.
जवाब देंहटाएंसुन्दर ब्लोगिया गीता ज्ञान ..जय हो
जवाब देंहटाएं" ha ha ha ha haha ha ha ha ha really very interesting to read.."
जवाब देंहटाएंregards
जय गुरुदेव
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ब्लॉग ज्ञान दिया .
भई वाह्! आपके व्यक्तित्व का आज ये एक नया पहलू दृ्ष्टिगोचर हुआ है....आपके ब्लाग गीता के पाठन से तो मन पूर्णत:आह्लादित हो उठा है.........अति उत्तम
जवाब देंहटाएंजय हो टिप्पणी सार की . बढ़िया आलेख व्यंग्यात्मक बधाई .
जवाब देंहटाएंTippaniyon pr accha gyan....aapki bat ka dyan rakha jayega...!!
जवाब देंहटाएं:D :)
जवाब देंहटाएंप्राणम महात्मा जी आप के चरण कहा है जी. अभी तक कहां छिपे बेठे रहे, अब जल्दी से इस दुनिया का कष्ट दुर करो.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ये ज्ञान तो वाकई काम का है :) :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ज्ञान दिया ...
जवाब देंहटाएंज्ञान बॉटने से ज्ञान मे बढोतरी होती है। लिखते रहे हो टीपणीया लेते जाऔ, और भाई देते भी जाओ। कुछ समझे के नही ?
जवाब देंहटाएंगीता ज्ञान किसी भी रूप में हो उसकी बात ही कुछ और होती है
जवाब देंहटाएंवाह भई वाह, मुझे पता नहीं था कि आप के पास सार थोक में रखा है. पहले पता होता तो मैं पाइरेसी कर छाप देता और अट्ठाईस टिप्पणी पा जाता.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंgood Stop dreaming start action
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