24 मार्च, 2009

हे हर हार आहार सुत


हे हर हार आहार सुत विनय करू कर जोर !
एक छोटी सी विनती सुनो तुम मोर !!

कितने सारे लोग लिख रहे नित्य नूतन लेख !
राम का नाम लेके लिखो आप भी आलेख !!

मिल गयी लेख पर टिप्पणिया तो समझे लंका जराये !
नहीं मिली अगर तो समझो बिन बूटीवाला पर्वत लाये !!

बहुत हुआ रथ के ऊपर बैठ देखत नजारा !
दिखाओ सारथी को अपना अतुलित बल सारा !!

उड़न खटोले बहुत उड़ गए आकाश में !
तुम भी अपना पवन वेग दिखाओ इस संसार में !!

कोई बैठा दूर देश में करता है राज !
दिखा दो आप भी अपना कौशल दुनिया को आज !!

नर-वानर, कुत्ते-बिल्ल्लियाँ और शिशु लिखते नित्य नए लेख !
आप भी एक रामनामा लिख कर करो श्री गणेश !!

प्रभु फुरसत से अब बैठो नहीं शुरू करो आलेख !
मंदी के दौर में भी दिन-प्रतिदिन वृद्धि कर रहे लेख !!

बहुत लिख दिया लोगों ने लेख नए ज्ञान के !
आप भी एक प्रहार करो बने क्यों हो अज्ञान से !!

पूजा-अर्चना बहुत हो गयी श्री राम की !
एक रचना लिखो फिर सुध रहेगी आराम की !!

आप भी अपना एक चिट्ठा ले आओ इस जगत में !
फिर उस पर अनुसरन करवाओ अपने भगत से !!

अपने लेखो को ब्लोगवाणी में सबसे पसंद करवाओ !
और चिट्ठा जगत में धुरन्धर लिक्खाड़ कहलवाओ !!

यह छोटी सी विनती सुनो तुम मोर !
हे हर हार आहार सुत विनय करू कर जोर !!

11 टिप्‍पणियां:

  1. आलोक भईया क्या तेवर बदला । कविया गये आप भी । लो अब हमले कर दिया है आप पर टिपया दिये और चटका दिया । यह रोग अच्छा लगा ।

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  2. बजरंग बली जरूर भली करेंगे।
    वैसे भोले नाथ से भी अरदास करने पर जल्दी सुनी जाती है। औघड़दानी हैं बाबा विश्वनाथ!

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  3. बाबा आलोक सिंह की जे........
    जे श्री राम, स्तुति अति सुन्दर है

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  4. हे बाबा आलोख आपका आलोक सबके मन को प्रफ़ुल्लित करता है.
    बस आप तो शुरु रहो.

    रामराम.

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  5. आलोक भाई बहुत ही सुंदर , आज से आप को संत आलोक ही कहे गे.
    धन्यवाद संत आलोक जी

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  6. बाबा आलोक की जय हो , बाबा ये हे हर हार आहार सुत का मतलब हनुमान जी कैसे हुआ , समझ में नहीं आया , कुछ ज्ञान दे बाबा .

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  7. लखबीर जी जैसा आपने पूछा हे हर हार आहार सुत का अर्थ हनुमान कैसे हुआ .
    हे - सम्बोधन
    हर - महादेव शंकर
    हार - शंकर जी की गले का हार सर्प (सांप )
    आहार - सर्प का आहार वायु (ऐसा कई साहित्यकार मानते है )
    सुत - पुत्र
    अर्थात पवन पुत्र श्री हनुमान जी .

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    उत्तर
    1. कलही पति के सुतन से दरश कराओ मोर
      अर्थात कैकयी के पति( दशरथ ) के पुत्र श्री राम का दर्शन करा दो
      ये हनुमान जी से विनती की जातीहै

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  8. भगवान को भी नहीं छोडा. लगे रहो भाई .....
    राम भली करेगे

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  9. श्रीमान सर्प का आहार वायु कैसे है

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